सऊदी अरब ने हाल ही में तेल उत्पादन को ले कर के एक बड़ा फैसला किया है। और अब इस फ़ैसले पर रूस भी अमल करने जा रही है। और इस कारण से भारत को मुसीबत हो सकती है। पर आखिर है क्या ये फैसला। आइए जानते हैं पूरी बात।
दर असल हाल ही में सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्रालय ने एक बड़ा फैसला किया था, जो ये था कि जुलाई के महीने में वो 10 लाख बैरल प्रतिदिन कच्चे तेल का उत्पादन घटाने जा रहे हैं। और उनका ये निर्णय आने वाले अगस्त के महीने तक चलेगा। और तेल उत्पादन में इस कटौती के कारण आने वाले अगस्त के महीने में उनका कुल तेल उत्पादन प्रतिदिन मात्र 90 लाख बैरल ही होगा।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अंतरराष्ट्रीय तेल बाज़ार में स्थिरता लाने के लिए उनके द्वारा ये निर्णय लिया गया है। और सऊदी अरब के इस निर्णय के बाद रूस ने भी कुछ इसी तरह का निर्णय लिया है, और आने वाले अगस्त के महीने में उन्होंने हर रोज पांच लाख बैरल तेल निर्यात कम करने का निर्णय कर लिया है। इन दोनों देशों के इस निर्णय के बाद पूरे विश्व में तेल की कीमत में काफी उछाल देखने को मिलने वाला है।
और वर्तमान समय में 1.6 फीसदी बढ़त हो गई है, और आज के समय में कच्चे तेल की क़ीमत 76.60 डॉलर आ चुकी है।कई जानकारों के अनुसार इन दोनों देशों का निर्णय सितंबर तक जारी रहने वाला है। जिससे कि हमें आने वाले समय में तेल की कीमत में और बदलाव देखने को मिलने वाले हैं।
अगर भारत पर इस चीज के असर की बात की जाए तो फिलहाल रूस से भारत का तेल का आयात काफी अधिक है। और फिलहाल तेल हमें 68 रुपए प्रति बैरल मिल रहा है।पर रूस फिलहाल भारत से डॉलर में पेमेंट नहीं चाहता है। और अभी मुद्रा का सवाल दोनों के सामने खड़ा है। और फिलहाल खबरों के अनुसार ये भुगतान युआन में किया जा रहा है।