हमारे देश में भारतीय रेलवे (Indian Railways) से लाखों लोग सफर करते हैं। आप में से लगभग सभी ने कभी ना कभी रेलवे से सफर किया ही होगा।आप में से कई लोग रोज ही यहां से वहां सफर करते होंगे। और एक से दूसरी जगह पर जरूर जाते होंगे। और कुछ लोग ऐसे भी होंगे जो कभी कभी ही इस रेल के सफर का आनंद लेते होंगे। लेकिन इंडियन रेलवे की ऐसी बहुत सी बातें है जिनकी जानकारी बेहद कम लोगों को होते हैं।
आप सभी ने कभी ना कभी एक चीज पर गौर जरूर किया ही होगा। और वो ये है कि एक ट्रेन के लोकोमोटिव इंजन पर तीन अलग-अलग रंग की लाइटें लगी होती हैं, पर आखिर ऐसा क्यों किया जाता है?आखिर एक रेल पर तीन अलग तरह की लाइट लगाने की क्या जरूरत होती है। आज हम इसी बारे में आपको बताएंगे। तो बने रहिए हमारे साथ इस आर्टिकल में।
दर असल उन सभी तीन लाइटों में एक लाइट जो है वो हैडलाइट होती है, और वहीं उसके साथ लगी दूसरी सफेद लाइट होती है और तीसरी लाइट रेड लाइट होती है। और इन सभी तीन लाइटों को रेल की भाषा में लोकोमोटिव इंडीकेटर कहा जाता है। कहीं कहीं पर कुछ कुछ पुराने लोकोमोटिव ट्रेन में इन हैडलाइट को ऊपर की ओर लगाया जाता है। तो वहीं आजकल की मॉडर्न जमाने की ट्रेन में इसे बीच में ही लगाया जाता है।
रेल में लगी हुई रेड लाइट को तब इस्तेमाल किया जाता है जब जब लोकोमोटिव को शंटिंग के लिए उल्टी दिशा में चलाया जाता है। और उसके साथ ही ट्रेन पर लगी हुई सफेद लाइट का इस्तेमाल उस समय किया जाता है जब कभी भी शंटिंग के लिए लोकोमोटिव आगे की ओर बढ़ता है। और हेडलाइट में दो बल्बों का इस्तेमाल किया जाता है, जो पैरेलल रूप से जुड़े होते हैं।